सोनभदर् रेनूसागर
मजहबे इस्लाम दुनिया का सबसे पवित्र मजहब :_मुफ्ती साजिद हसनी
आल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड ब अन्जुमन नूरिया अहले सुन्नत वल जमाअत रेनू सागर सोनभद्र के तत्वावधान में नगर के कर्मचारी मनोरंजन बिरला मार्केट में एक दिवसीय आल इंडिया जश्ने ख्वाजा व इस्लाहे मुआशिरा कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया।कार्यक्रम कुरान की तिलावत के साथ हाफिज मोहम्मद ताहिर रजा झारखंड ने शुभारम्भ किया
सरपरस्ती व अध्यक्षता करते हुए
इस्लामिक रिसर्च स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी ने अपनी तकरीर में कहा कि मुसलमानों को दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम (शिक्षा) की ओर बच्चो को ध्यान दिलाना चाहिए। उन्होने कहा कि मोहम्मद अलै हिस्सलाम ने फरमाया है कि मां की गोद से लेकर कबर तक शिक्षा हासिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लाम दुनिया का सबसे पवित्र मजहव है। कुरान पाक सव इन्सानो के लिए हिदायत की किताब है आधी रोटी खाओ बच्चो को पढ़ाओं के नारे पिंडाल (जलसे) मे लगने लगे उन्होने मुसलमानो से अपील की है कि वह अपने बच्चो उच्च शिक्षा दिलाएं चाहे उन्हें (दूसरेमुल्क) क्यो न जाना पढ़े।
मुख्य अतिथि
इस्लामिक रिसर्च स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने तकरीर में कहा कि हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रहमतुल्लाह अ़लैह की पैदाईश 9 रजब 530 हिजरी, सन् 1143 ईस्वी में "मध्य एशिया" के सीस्तान के संजर क़स्बे में हुई थी। आपके अब्बू जान का नाम हजरत ख़्वाजा ग़यासुद्दीन और अम्मी जान का नाम बीबी उम्मुल्वरा, अल्मौसूम माहे नूर था।आपकी अम्मी जान फ़रमाती हैं कि जब मेरा बेटा मोईनुद्दीन मेरे शिकम (पेट) में था, मेरा घर ख़ैर व बरकत से भर गया और जब मेरा बेटा मोईनुद्दीन पैदा हुआ, तो मेरा पूरा घर नूर से मामूर हो गया।जब ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की उम्र 14 साल की हुई, तो आपके अब्बू जान का साया सर से उठ गया। आप यतीम हो गए। इस हादसे के कुछ ही महीने बाद आपकी अम्मी जान का भी इन्तिक़ाल हो गया। इस पर आपने सब्र किया। आपका बचपन "असरारे इलाही और र्माफ़ते इलाही" से भरा हुआ था। आप बड़े ही रहम दिल और दयालू थे। आप हमेशा ग़रीबों, फ़क़ीरों और नेक लोगों से मोहब्बत किया करते थे और उनका अदब-व-एहतराम किया करते थे। अब्बू और अम्मी का साया सर से उठने के बाद, विरासत में जो कुछ भी आपको मिला था, सबको ख़ुदा की राह में पेश करके तालीम हासिल करने के लिए "बुख़ारा" आ गए। यहाँ आपने "क़ुरआन शरीफ़" को ज़बानी याद किया और "क़ुरआन हाफ़िज़" बने। तालिम से फ़ारिग़ होने के बाद आप "इराक़" तशरीफ़ ले गए। "इराक़" में आपने हज़रत ख़्वाजा उस्मान हारुनी से बैअ़त हासिल की और पूरे 20 साल तक आपने अपने पीर की ख़िदमत की। इन 20 सालों में आपने ऐसे-ऐसे मुजाहिदात किए कि हक़ीक़त की तमाम मंज़िलों को आपने तय कर लिया। आप दिन-रात ईबादते ईलाही में मशग़ूल रहा करते थे। आपकी जिन्दगी बहुत ही सादा थी। आपके बारे में कहा जाता है कि "आपने कभी भर पेट खाना नही खाया"।आपके बारे में यह भी मशहूर है कि आपने ज़िन्दगी भर एक ही लिबास को पहना और जब यह फट जाता था, तो उस पर पैबन्द लगा लिया करते थे। पैबन्द पे पैबन्द लगाने से आपका लिबास इतना भारी हो गया था कि आपके इन्तिक़ाल के बाद, जब उसे तौला गया तो उसका वज़न "साढ़े बारह सेर" था।
मौलाना अब्दुल मन्नान चतुर्वेदी जमशेदपुर झारखंड ने अपनी तकरीर में कहा कि
शहंशाहों के शहंशाह ख्वाजा गरीब नवाज
दुनिया में कितने ही राजा, महाराजा, बादशाहों के दरबार लगे और उजड़ गए, मगर ख्वाजा साहब का दरबार आज भी शान-ओ-शोकत के साथ जगमगा रहा है। उनकी दरगाह में मत्था टेकने वालों की तादात दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। गरीब नवाज के दर पर न कोई अमीर है न गरीब। न यहां जात-पात है, न मजहब की दीवारें। हर आम-ओ-खास यहां आता है और अपनी झोली भर कर जाता है।
हिंदुस्तान के अनेक शहंशाहों ने बार-बार यहां आ कर हाजिरी दी है।
मौलाना तबीब आलम झारखंड
ने तकरीर में कहा कि इल्म सीखना हर मुसलमान का फर्ज है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को शिक्षा की ओर जाने का पैगाम दिया
अध्यक्ष मोहम्मद असलम रजवी ने समकालीन शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मदरसों में हो रही तालीम के साथ अंग्रेजी व साइंस, ¨हिन्दी कंप्यूटर की ओर भी ध्यान देना चाहिए। कान्फ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए
मुफ्ती साजिद हसनी कादरी पीलीभीत ने मदरसा व समकालीन शिक्षा के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि शिक्षा के बिना ¨जदगी अधूरी है। जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है। आधी रोटी खाओ मगर बच्चों पढाओअच्छी तालीम देना हर मां-बाप का फर्ज है
सन्चालन मौलाना तबीब आलम झारखंड ने किया
कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद असलम खान रजवी व इराकीन कमेटी की ओर से शीरीनी बाटी गई
मौलाना सलीम रजा पीलीभीत
हाफिज इम्तियाज अख्तर बुलबुल पलामू इबादत रजा नूरी झारखंड
वारिस रजा नागपुर अली रजा अध्यक्ष मोहम्मद असलम रजवी ने नात व मनकबत पढकर के खिराजे अकीदत पेश किया एस डी एम ंएस ओ एस आई का कान्फ्रेंस कराने में सहयोग रहा मौलाना मनजूर आलम मुजफ्फर हुसैन मौलाना साजिद रजा मिस्बाही नियाज अहमद खान कारी जमाल रजा साहित् हजारों की संख्या में
लोग मौजूद थे।
9634316786
Mohallah Sahukara Line Par Ashraf Nagar Puranpur Ward Number: 16 Pilibhit U.P India Mobile Number: +91-9634316786
Saturday, April 15, 2017
सोनभदर् रेनूसागर मजहबे इस्लाम दुनिया का सबसे पवित्र मजहब :_मुफ्ती साजिद हसनी आल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड ब अन्जुमन नूरिया अहले सुन्नत वल जमाअत रेनू सागर सोनभद्र के तत्वावधान में नगर के कर्मचारी मनोरंजन बिरला मार्केट में एक दिवसीय आल इंडिया जश्ने ख्वाजा व इस्लाहे मुआशिरा कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया।कार्यक्रम कुरान की तिलावत के साथ हाफिज मोहम्मद ताहिर रजा झारखंड ने शुभारम्भ किया सरपरस्ती व अध्यक्षता करते हुए इस्लामिक रिसर्च स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी ने अपनी तकरीर में कहा कि मुसलमानों को दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम (शिक्षा) की ओर बच्चो को ध्यान दिलाना चाहिए। उन्होने कहा कि मोहम्मद अलै हिस्सलाम ने फरमाया है कि मां की गोद से लेकर कबर तक शिक्षा हासिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लाम दुनिया का सबसे पवित्र मजहव है। कुरान पाक सव इन्सानो के लिए हिदायत की किताब है आधी रोटी खाओ बच्चो को पढ़ाओं के नारे पिंडाल (जलसे) मे लगने लगे उन्होने मुसलमानो से अपील की है कि वह अपने बच्चो उच्च शिक्षा दिलाएं चाहे उन्हें (दूसरेमुल्क) क्यो न जाना पढ़े। मुख्य अतिथि इस्लामिक रिसर्च स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने तकरीर में कहा कि हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ रहमतुल्लाह अ़लैह की पैदाईश 9 रजब 530 हिजरी, सन् 1143 ईस्वी में "मध्य एशिया" के सीस्तान के संजर क़स्बे में हुई थी। आपके अब्बू जान का नाम हजरत ख़्वाजा ग़यासुद्दीन और अम्मी जान का नाम बीबी उम्मुल्वरा, अल्मौसूम माहे नूर था।आपकी अम्मी जान फ़रमाती हैं कि जब मेरा बेटा मोईनुद्दीन मेरे शिकम (पेट) में था, मेरा घर ख़ैर व बरकत से भर गया और जब मेरा बेटा मोईनुद्दीन पैदा हुआ, तो मेरा पूरा घर नूर से मामूर हो गया।जब ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की उम्र 14 साल की हुई, तो आपके अब्बू जान का साया सर से उठ गया। आप यतीम हो गए। इस हादसे के कुछ ही महीने बाद आपकी अम्मी जान का भी इन्तिक़ाल हो गया। इस पर आपने सब्र किया। आपका बचपन "असरारे इलाही और र्माफ़ते इलाही" से भरा हुआ था। आप बड़े ही रहम दिल और दयालू थे। आप हमेशा ग़रीबों, फ़क़ीरों और नेक लोगों से मोहब्बत किया करते थे और उनका अदब-व-एहतराम किया करते थे। अब्बू और अम्मी का साया सर से उठने के बाद, विरासत में जो कुछ भी आपको मिला था, सबको ख़ुदा की राह में पेश करके तालीम हासिल करने के लिए "बुख़ारा" आ गए। यहाँ आपने "क़ुरआन शरीफ़" को ज़बानी याद किया और "क़ुरआन हाफ़िज़" बने। तालिम से फ़ारिग़ होने के बाद आप "इराक़" तशरीफ़ ले गए। "इराक़" में आपने हज़रत ख़्वाजा उस्मान हारुनी से बैअ़त हासिल की और पूरे 20 साल तक आपने अपने पीर की ख़िदमत की। इन 20 सालों में आपने ऐसे-ऐसे मुजाहिदात किए कि हक़ीक़त की तमाम मंज़िलों को आपने तय कर लिया। आप दिन-रात ईबादते ईलाही में मशग़ूल रहा करते थे। आपकी जिन्दगी बहुत ही सादा थी। आपके बारे में कहा जाता है कि "आपने कभी भर पेट खाना नही खाया"।आपके बारे में यह भी मशहूर है कि आपने ज़िन्दगी भर एक ही लिबास को पहना और जब यह फट जाता था, तो उस पर पैबन्द लगा लिया करते थे। पैबन्द पे पैबन्द लगाने से आपका लिबास इतना भारी हो गया था कि आपके इन्तिक़ाल के बाद, जब उसे तौला गया तो उसका वज़न "साढ़े बारह सेर" था। मौलाना अब्दुल मन्नान चतुर्वेदी जमशेदपुर झारखंड ने अपनी तकरीर में कहा कि शहंशाहों के शहंशाह ख्वाजा गरीब नवाज दुनिया में कितने ही राजा, महाराजा, बादशाहों के दरबार लगे और उजड़ गए, मगर ख्वाजा साहब का दरबार आज भी शान-ओ-शोकत के साथ जगमगा रहा है। उनकी दरगाह में मत्था टेकने वालों की तादात दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। गरीब नवाज के दर पर न कोई अमीर है न गरीब। न यहां जात-पात है, न मजहब की दीवारें। हर आम-ओ-खास यहां आता है और अपनी झोली भर कर जाता है। हिंदुस्तान के अनेक शहंशाहों ने बार-बार यहां आ कर हाजिरी दी है। मौलाना तबीब आलम झारखंड ने तकरीर में कहा कि इल्म सीखना हर मुसलमान का फर्ज है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को शिक्षा की ओर जाने का पैगाम दिया अध्यक्ष मोहम्मद असलम रजवी ने समकालीन शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मदरसों में हो रही तालीम के साथ अंग्रेजी व साइंस, ¨हिन्दी कंप्यूटर की ओर भी ध्यान देना चाहिए। कान्फ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती साजिद हसनी कादरी पीलीभीत ने मदरसा व समकालीन शिक्षा के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि शिक्षा के बिना ¨जदगी अधूरी है। जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है। आधी रोटी खाओ मगर बच्चों पढाओअच्छी तालीम देना हर मां-बाप का फर्ज है सन्चालन मौलाना तबीब आलम झारखंड ने किया कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद असलम खान रजवी व इराकीन कमेटी की ओर से शीरीनी बाटी गई मौलाना सलीम रजा पीलीभीत हाफिज इम्तियाज अख्तर बुलबुल पलामू इबादत रजा नूरी झारखंड वारिस रजा नागपुर अली रजा अध्यक्ष मोहम्मद असलम रजवी ने नात व मनकबत पढकर के खिराजे अकीदत पेश किया एस डी एम ंएस ओ एस आई का कान्फ्रेंस कराने में सहयोग रहा मौलाना मनजूर आलम मुजफ्फर हुसैन मौलाना साजिद रजा मिस्बाही नियाज अहमद खान कारी जमाल रजा साहित् हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। 9634316786
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