Tuesday, November 14, 2017

आला हजरत ने हमेशा दिया अमन व शान्ती का पैगाम_मुफ्ती साजिद हसनी बरेली हज सेवा समिति के बैनर तले जश्ने इमाम अहमद रजा का आयोजन किया गया जिसकी सरपरस्ती हजरत सूफी कमाल मियां नासरी व अध्यक्षता इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉयरेक्टर खादी ग्राम उद्योग उप्र शासन हाफिज नूर अहमद रजा अजहरी रहे व विशिष्ट अतिथि आल इण्डिया मुस्लिम कौंसिल के राष्ट्रीय महासचिव रिज़वान बरकाती और बरेली हज सेवा समिति के अध्यक्ष पम्मी खान वारसी रहे। बरेली हज सेवा समिति के बैनर तले आयोजित जश्ने इमाम अहमद रजा में बोलते हुए मुफ्ती साजिद हसनी ने आला हजरत की जीवनी को विस्तार से बताते हुए कहा कि आला हजरत सुन्नियत के इमाम है। उन्होंने 58 भाषाओं का ज्ञान हासिल किया तथा 1000 किताबें हर भाषा में लिखीं। मुफ्ती साजिद हसनी ने कहा कि इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली का जन्म 10 शव्वाल 1272 हिजरी मुताबिक १४ जून १८५६ को बरेली में हुआ। आपके पूर्वज कंधार के पठान थे जो मुग़लों के समय में हिंदुस्तान आये थें। इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली के मानने वाले इन्हें आलाहजरत के नाम से याद करते है। आला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद, युगपरिवर्तक, तथा समाज सुधारक थे। हाफिज नूर अहमद रजा अजहरी ने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी 14 वीँ शताब्दी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) थे। जिन्हेँ उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्वानों ने यह उपाधी दी। उन्होंने हिंद उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह सुब्हान व तआला और मुहम्मदरसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के प्रती प्रेम भर कर और मुहम्मद रसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की सुन्नतों को जीवित कर के इस्लाम का परचम बुलन्द किया रिज़वान बरकाती ने कहा कि आला हजरत 13 वर्ष की कम आयु में मुफ्ती की श्रेणी ग्रहण की। उन्होंने 72 से अधिक विभिन्न विषयों पर 1000 से अधिक किताबें लिखीं जिन में तफ्सीर हदीस उनकी एक प्रमुख पुस्तक जिस का नाम अद्दौलतुल मक्किया है जिस को उन्होंने केवल 8 घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथों के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा। उनकी एक प्रमुख ग्रंथ फतावा रज्विया इस सदी के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है जो 13 विभागों में विरचित है। कन्जुल ईमान फी तर्जमतुल कुर॑आन आला हजरत के उर्स के मौके पर मुफ्ती साजिद हसनी द्वारा इन्डिया में पहली बार दो मुजदिदो आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च की गयी किताब इमामे दीन मुजद्दिद अल्फसानी व इमाम अहमद रजा. तीसरी ईशाअत का विमोचन किया गया और उर्स के मौके पर खानकाह साबरी नसीरिया नौ महला बरेली मे फ्री में पुस्तकें बांटी गयीं। रिज़वान बरकाती ने कहा कि मुफ्ती साजिद हसनी ने 2011 में आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च किया इंग्लिश उर्दू अरबी फारसी चार जुबान में इस किताब को लिखा पूरी दुनिया में इस पुस्तक की मांग हो रही है हाफिज नूर अहमद रजा अजहरी पम्पी खान वारसी रिज़वान बरकाती जावेद खा गुड्डू हनीफ साबरी सुहेल अहमद हाजी जमाल घोसी फैजान खान मीनू बरकाती आदि लोग मौके पर मौजूद रहे मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने कौम व मुल्क में अमन शांति की दुआएं मांगीं।

आला हजरत ने हमेशा दिया अमन व शान्ती का पैगाम_मुफ्ती साजिद हसनी
बरेली हज सेवा समिति के बैनर तले जश्ने इमाम अहमद रजा का आयोजन किया गया जिसकी सरपरस्ती हजरत सूफी कमाल मियां नासरी व अध्यक्षता इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी
ने की। 
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉयरेक्टर खादी ग्राम उद्योग उप्र शासन हाफिज नूर अहमद रजा अजहरी रहे व विशिष्ट अतिथि आल इण्डिया मुस्लिम कौंसिल के राष्ट्रीय महासचिव रिज़वान बरकाती और बरेली हज सेवा समिति के अध्यक्ष पम्मी खान वारसी रहे।
बरेली हज सेवा समिति के बैनर तले आयोजित जश्ने इमाम अहमद रजा में बोलते हुए मुफ्ती साजिद हसनी ने आला हजरत की जीवनी को विस्तार से बताते हुए कहा कि आला हजरत सुन्नियत के इमाम है। उन्होंने 58 भाषाओं का ज्ञान हासिल किया तथा 1000 किताबें हर भाषा में लिखीं। मुफ्ती साजिद हसनी ने कहा कि
इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली का जन्म 10 शव्वाल 1272  हिजरी मुताबिक १४ जून १८५६ को बरेली में हुआ। आपके पूर्वज कंधार के पठान थे जो मुग़लों के समय में हिंदुस्तान आये थें। इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेली के मानने वाले इन्हें आलाहजरत के नाम से याद करते है। आला हज़रत बहुत बड़े मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद, युगपरिवर्तक, तथा समाज सुधारक थे।
हाफिज नूर अहमद रजा अजहरी ने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी 14 वीँ शताब्दी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) थे। जिन्हेँ उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्वानों ने यह उपाधी दी। उन्होंने हिंद उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह सुब्हान व तआला और मुहम्मदरसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के प्रती प्रेम भर कर और मुहम्मद रसूलल्लाह सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम की सुन्नतों को जीवित कर के इस्लाम का परचम बुलन्द किया रिज़वान बरकाती ने कहा कि आला हजरत 13 वर्ष की कम आयु में मुफ्ती की श्रेणी ग्रहण की। उन्होंने 72 से अधिक विभिन्न विषयों पर 1000 से अधिक किताबें लिखीं जिन में तफ्सीर हदीस उनकी एक प्रमुख पुस्तक जिस का नाम अद्दौलतुल मक्किया है जिस को उन्होंने केवल 8 घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथों के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा। उनकी एक प्रमुख ग्रंथ फतावा रज्विया इस सदी के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है जो 13 विभागों में विरचित है। कन्जुल ईमान फी तर्जमतुल कुर॑आन
आला हजरत के उर्स के मौके पर मुफ्ती साजिद हसनी द्वारा  इन्डिया में पहली बार दो मुजदिदो  आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च की गयी किताब इमामे दीन मुजद्दिद  अल्फसानी व इमाम अहमद रजा. तीसरी ईशाअत का विमोचन किया गया और उर्स के मौके पर खानकाह साबरी नसीरिया नौ महला बरेली मे फ्री में पुस्तकें बांटी गयीं।
रिज़वान बरकाती ने कहा कि मुफ्ती साजिद हसनी ने 2011  में आला हजरत और इमामे रब्बानी पर रिसर्च किया इंग्लिश उर्दू अरबी फारसी चार जुबान में इस किताब को लिखा पूरी दुनिया में इस पुस्तक की मांग हो रही है
हाफिज नूर अहमद रजा अजहरी पम्पी खान वारसी रिज़वान बरकाती जावेद खा गुड्डू  हनीफ साबरी सुहेल अहमद हाजी जमाल घोसी फैजान खान
मीनू बरकाती आदि लोग मौके पर मौजूद रहे मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने कौम व मुल्क में अमन शांति की दुआएं मांगीं।

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