Saturday, May 27, 2017

38 साल बाद होगा 16 घण्टे का सबसे लम्बा रोजा मुफ्ती साजिद हसनी रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दिये जातें है- मुफ्ती साजिद हसनी पूरनपुर पीलीभीत- जामिया खदीजा लिलवनात में आल इण्डिया उलेमा मशाइख वोर्ड की ओर से एक प्रेस काॅन्फै्रन्स का h आयोजन किया गया कुरान की तिलाबत के साथ शुभआरम्भ किया गया अध्यक्षता करतें हुए प्रेसवार्ता के दौरान मुस्लिम धर्म गुरू मुफ्ती साजिद हसनी ने कहाकि रमजान माह में जन्नत के दरवजे खोल दियें जातें है। इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने प्रेसवार्ता के दौरान रमजान शरीफ की फजीलत के वारेे में विस्तार से जानकारियां दी। उन्होनें कहा कि 1979 के बाद इस बार लगभग 16 घण्टें का 37 साल के बाद सबसें लम्बा रोजा मुस्लमानों को रखना पड़ेगा चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत महसूस होगी पर इसके बाद भी मजहब-ए-इस्लाम के माननें वालें इन चीजों से दूर रहकर भी अपनें रोजे पूरें करेगें उन्होने बताया कि यदि रोजदार पांचो वक्त की नमाजें फजर जोहर, असर, मगरिब, इशा और कुरान की तिलाबत करें और अपनें रोजे का पूरा दिन अल्लाह और उसके रसूल अलैहिससलाम के जिक्र (याद) में गुजारेगें तो उन्हें भूख व प्यास का अहसास भी नहीं होगा। रमजान के महीनें में एक नेकी करनें के बदलें सत्तर नेकियों का सबाब मिलता है। उन्होने कहाकि रोजा रखना फर्ज है अगर कोई रोजा न रख सकें तो एक रोजे के बदलें लगातार 60 रोजे रखना होगे, यदि उस व्यक्ति मे 60 रोजे रखनें की ताकत नहीं तो वह 60 दिन गरीब फकीर को भर पेट दोनों समय खाना खिलायें। जो लोग जान-बूझकर रोजा नहीं रखतें है। तो वह लोग सख्त गुनहागार होगें और उनका मुस्लिम समाज से बायकाट किया जायेगा । यह विचार रखतें हुए मुफ्ती साजिद हसनी भावुक हो गयें, उन्होने बताया कि रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दियें जातें है और नर्ख (जहान्नम) के दरवाजें बन्द कर दियें जातें है और शैतानों की भी पूरें माह कैद कर दिया जाता है। आल इण्डिया बोर्ड के जिलाध्यक्ष मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने बताया कि कलमा, नमाज रोजा, हज, जकात पर मुस्लमानों को अमल करना चाहिए। रमजान माह में खुल्लम-खुल्ला खानें वालों को परहेज करना चाहिए। मुफ्ती साजिद हसनी ने बताया कि रोजे की हालत में इंजेक्शन लगवाना सुर्मा लगाना, सर में तेल डालनें से रोजा नहीं टूटता बल्की टयूथपेस्ट और मंजन के बारीक हिस्सें हलक से उतर गयें तो रोजा टूट जायेंगा इसलिए यह चीजे रोजे की हालत में मना है। उन्होनें आला हजरत की तहरीरकर्दा किताब फताब-ए-रजवियां के हिवाले से बताया कि खैनी, तम्बाकू, गुल करने से भी रोजा टूट जाता है। उन्होेने बताया कि जो मुसलमान साहिवे निसाब है। यानी जिनकें पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या उसके बराबर रकम हो तो उसकी उसकी ढ़ाई प्रतिशत जकात निकालना फर्ज है। इस वक्त साढ़ें वावन तोला चांदी का मूल्य लगभग 22 हजार है और अगर नही निकाली तो गुनाहगार होगा। उन्होनें मुस्लमानों से रमजान माह में अपील की है कि यतीमों गरीबों फकीरों की मदद करना चाहिए। क्यों इस माह में एक नेकी के बदलें 70 नेकियों का सबाब मिलता है। आखीर में मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क में अमनों-अमान की दुआ मांगी। मुहम्मद फरियाद रजा, मुहम्मद सहादत हुसैन, शाहिद रज़ा, जाने आलाम अशरफी, कमरूल हसन, मुफ्ती नूर मो0 हसनी रकीब असंारी आदि लोग मौजूद रहें।

38 साल बाद होगा 16 घण्टे का सबसे लम्बा रोजा मुफ्ती साजिद हसनी
रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दिये जातें है- मुफ्ती साजिद हसनी
पूरनपुर पीलीभीत- जामिया खदीजा लिलवनात में आल इण्डिया उलेमा मशाइख वोर्ड की ओर से एक प्रेस काॅन्फै्रन्स का h आयोजन किया गया कुरान की तिलाबत के साथ शुभआरम्भ किया गया अध्यक्षता करतें हुए प्रेसवार्ता के दौरान मुस्लिम धर्म गुरू मुफ्ती साजिद हसनी ने कहाकि रमजान माह में जन्नत के दरवजे खोल दियें जातें है। इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने प्रेसवार्ता के दौरान रमजान शरीफ की फजीलत के वारेे में विस्तार से जानकारियां दी। उन्होनें कहा कि 1979 के बाद इस बार लगभग 16 घण्टें का 37 साल के बाद सबसें लम्बा रोजा मुस्लमानों को रखना पड़ेगा चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत महसूस होगी पर इसके बाद भी मजहब-ए-इस्लाम के माननें वालें इन चीजों से दूर रहकर भी अपनें रोजे पूरें करेगें उन्होने बताया कि यदि रोजदार पांचो वक्त की नमाजें फजर जोहर, असर, मगरिब, इशा और कुरान की तिलाबत करें और अपनें रोजे का पूरा दिन अल्लाह और उसके रसूल अलैहिससलाम के जिक्र (याद) में गुजारेगें तो उन्हें भूख व प्यास का अहसास भी नहीं होगा। रमजान के महीनें में एक नेकी करनें के बदलें सत्तर नेकियों का सबाब मिलता है। उन्होने कहाकि रोजा रखना फर्ज है अगर कोई रोजा न रख सकें तो एक रोजे के बदलें लगातार 60 रोजे रखना होगे, यदि उस व्यक्ति मे 60 रोजे रखनें की ताकत नहीं तो वह 60 दिन गरीब फकीर को भर पेट दोनों समय खाना खिलायें। जो लोग जान-बूझकर रोजा नहीं रखतें है। तो वह लोग सख्त गुनहागार होगें और उनका मुस्लिम समाज से बायकाट किया जायेगा । यह विचार रखतें हुए मुफ्ती साजिद हसनी भावुक हो गयें, उन्होने बताया कि रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दियें जातें है और नर्ख (जहान्नम) के दरवाजें बन्द कर दियें जातें है और शैतानों की भी पूरें माह कैद कर दिया जाता है।
आल इण्डिया बोर्ड के जिलाध्यक्ष मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने बताया कि कलमा, नमाज रोजा, हज, जकात पर मुस्लमानों को अमल करना चाहिए। रमजान माह में खुल्लम-खुल्ला खानें वालों को परहेज करना चाहिए।
मुफ्ती साजिद हसनी ने बताया कि रोजे की हालत में इंजेक्शन लगवाना सुर्मा लगाना, सर में तेल डालनें से रोजा नहीं टूटता बल्की टयूथपेस्ट और मंजन के बारीक हिस्सें हलक से उतर गयें तो रोजा टूट जायेंगा इसलिए यह चीजे रोजे की हालत में मना है। उन्होनें आला हजरत की तहरीरकर्दा किताब फताब-ए-रजवियां के हिवाले से बताया कि खैनी, तम्बाकू, गुल करने से भी रोजा टूट जाता है। उन्होेने बताया कि जो मुसलमान साहिवे निसाब है। यानी जिनकें पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या उसके बराबर रकम हो तो उसकी उसकी ढ़ाई प्रतिशत जकात निकालना फर्ज है।  इस वक्त साढ़ें वावन तोला चांदी का मूल्य लगभग 22 हजार है और अगर नही निकाली तो गुनाहगार होगा। उन्होनें मुस्लमानों से रमजान माह में अपील की है कि यतीमों गरीबों फकीरों की मदद करना चाहिए।  क्यों इस माह में एक नेकी के बदलें 70 नेकियों का सबाब मिलता है। आखीर में मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क में अमनों-अमान की दुआ मांगी। मुहम्मद फरियाद रजा, मुहम्मद सहादत हुसैन, शाहिद रज़ा, जाने आलाम अशरफी, कमरूल हसन, मुफ्ती नूर मो0 हसनी रकीब असंारी आदि लोग मौजूद रहें।

Thursday, May 25, 2017

38 साल बाद होगा 16 घण्टे का सबसे लम्बा रोजा मुफ्ती साजिद हसनी रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दिये जातें है- मुफ्ती साजिद हसनी पूरनपुर पीलीभीत- जामिया खदीजा लिलवनात में आल इण्डिया उलेमा मशाइख वोर्ड की ओर से एक प्रेस काॅन्फै्रन्स का h आयोजन किया गया कुरान की तिलाबत के साथ शुभआरम्भ किया गया अध्यक्षता करतें हुए प्रेसवार्ता के दौरान मुस्लिम धर्म गुरू मुफ्ती साजिद हसनी ने कहाकि रमजान माह में जन्नत के दरवजे खोल दियें जातें है। इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने प्रेसवार्ता के दौरान रमजान शरीफ की फजीलत के वारेे में विस्तार से जानकारियां दी। उन्होनें कहा कि 1979 के बाद इस बार लगभग 16 घण्टें का 37 साल के बाद सबसें लम्बा रोजा मुस्लमानों को रखना पड़ेगा चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत महसूस होगी पर इसके बाद भी मजहब-ए-इस्लाम के माननें वालें इन चीजों से दूर रहकर भी अपनें रोजे पूरें करेगें उन्होने बताया कि यदि रोजदार पांचो वक्त की नमाजें फजर जोहर, असर, मगरिब, इशा और कुरान की तिलाबत करें और अपनें रोजे का पूरा दिन अल्लाह और उसके रसूल अलैहिससलाम के जिक्र (याद) में गुजारेगें तो उन्हें भूख व प्यास का अहसास भी नहीं होगा। रमजान के महीनें में एक नेकी करनें के बदलें सत्तर नेकियों का सबाब मिलता है। उन्होने कहाकि रोजा रखना फर्ज है अगर कोई रोजा न रख सकें तो एक रोजे के बदलें लगातार 60 रोजे रखना होगे, यदि उस व्यक्ति मे 60 रोजे रखनें की ताकत नहीं तो वह 60 दिन गरीब फकीर को भर पेट दोनों समय खाना खिलायें। जो लोग जान-बूझकर रोजा नहीं रखतें है। तो वह लोग सख्त गुनहागार होगें और उनका मुस्लिम समाज से बायकाट किया जायेगा । यह विचार रखतें हुए मुफ्ती साजिद हसनी भावुक हो गयें, उन्होने बताया कि रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दियें जातें है और नर्ख (जहान्नम) के दरवाजें बन्द कर दियें जातें है और शैतानों की भी पूरें माह कैद कर दिया जाता है। आल इण्डिया बोर्ड के जिलाध्यक्ष मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने बताया कि कलमा, नमाज रोजा, हज, जकात पर मुस्लमानों को अमल करना चाहिए। रमजान माह में खुल्लम-खुल्ला खानें वालों को परहेज करना चाहिए। मुफ्ती साजिद हसनी ने बताया कि रोजे की हालत में इंजेक्शन लगवाना सुर्मा लगाना, सर में तेल डालनें से रोजा नहीं टूटता बल्की टयूथपेस्ट और मंजन के बारीक हिस्सें हलक से उतर गयें तो रोजा टूट जायेंगा इसलिए यह चीजे रोजे की हालत में मना है। उन्होनें आला हजरत की तहरीरकर्दा किताब फताब-ए-रजवियां के हिवाले से बताया कि खैनी, तम्बाकू, गुल करने से भी रोजा टूट जाता है। उन्होेने बताया कि जो मुसलमान साहिवे निसाब है। यानी जिनकें पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या उसके बराबर रकम हो तो उसकी उसकी ढ़ाई प्रतिशत जकात निकालना फर्ज है। इस वक्त साढ़ें वावन तोला चांदी का मूल्य लगभग 22 हजार है और अगर नही निकाली तो गुनाहगार होगा। उन्होनें मुस्लमानों से रमजान माह में अपील की है कि यतीमों गरीबों फकीरों की मदद करना चाहिए। क्यों इस माह में एक नेकी के बदलें 70 नेकियों का सबाब मिलता है। आखीर में मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क में अमनों-अमान की दुआ मांगी। मुहम्मद फरियाद रजा, मुहम्मद सहादत हुसैन, शाहिद रज़ा, जाने आलाम अशरफी, कमरूल हसन, मुफ्ती नूर मो0 हसनी रकीब असंारी आदि लोग मौजूद रहें।

38 साल बाद होगा 16 घण्टे का सबसे लम्बा रोजा मुफ्ती साजिद हसनी
रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दिये जातें है- मुफ्ती साजिद हसनी
पूरनपुर पीलीभीत- जामिया खदीजा लिलवनात में आल इण्डिया उलेमा मशाइख वोर्ड की ओर से एक प्रेस काॅन्फै्रन्स का h आयोजन किया गया कुरान की तिलाबत के साथ शुभआरम्भ किया गया अध्यक्षता करतें हुए प्रेसवार्ता के दौरान मुस्लिम धर्म गुरू मुफ्ती साजिद हसनी ने कहाकि रमजान माह में जन्नत के दरवजे खोल दियें जातें है। इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने प्रेसवार्ता के दौरान रमजान शरीफ की फजीलत के वारेे में विस्तार से जानकारियां दी। उन्होनें कहा कि 1979 के बाद इस बार लगभग 16 घण्टें का 37 साल के बाद सबसें लम्बा रोजा मुस्लमानों को रखना पड़ेगा चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत महसूस होगी पर इसके बाद भी मजहब-ए-इस्लाम के माननें वालें इन चीजों से दूर रहकर भी अपनें रोजे पूरें करेगें उन्होने बताया कि यदि रोजदार पांचो वक्त की नमाजें फजर जोहर, असर, मगरिब, इशा और कुरान की तिलाबत करें और अपनें रोजे का पूरा दिन अल्लाह और उसके रसूल अलैहिससलाम के जिक्र (याद) में गुजारेगें तो उन्हें भूख व प्यास का अहसास भी नहीं होगा। रमजान के महीनें में एक नेकी करनें के बदलें सत्तर नेकियों का सबाब मिलता है। उन्होने कहाकि रोजा रखना फर्ज है अगर कोई रोजा न रख सकें तो एक रोजे के बदलें लगातार 60 रोजे रखना होगे, यदि उस व्यक्ति मे 60 रोजे रखनें की ताकत नहीं तो वह 60 दिन गरीब फकीर को भर पेट दोनों समय खाना खिलायें। जो लोग जान-बूझकर रोजा नहीं रखतें है। तो वह लोग सख्त गुनहागार होगें और उनका मुस्लिम समाज से बायकाट किया जायेगा । यह विचार रखतें हुए मुफ्ती साजिद हसनी भावुक हो गयें, उन्होने बताया कि रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दियें जातें है और नर्ख (जहान्नम) के दरवाजें बन्द कर दियें जातें है और शैतानों की भी पूरें माह कैद कर दिया जाता है।
आल इण्डिया बोर्ड के जिलाध्यक्ष मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने बताया कि कलमा, नमाज रोजा, हज, जकात पर मुस्लमानों को अमल करना चाहिए। रमजान माह में खुल्लम-खुल्ला खानें वालों को परहेज करना चाहिए।
मुफ्ती साजिद हसनी ने बताया कि रोजे की हालत में इंजेक्शन लगवाना सुर्मा लगाना, सर में तेल डालनें से रोजा नहीं टूटता बल्की टयूथपेस्ट और मंजन के बारीक हिस्सें हलक से उतर गयें तो रोजा टूट जायेंगा इसलिए यह चीजे रोजे की हालत में मना है। उन्होनें आला हजरत की तहरीरकर्दा किताब फताब-ए-रजवियां के हिवाले से बताया कि खैनी, तम्बाकू, गुल करने से भी रोजा टूट जाता है। उन्होेने बताया कि जो मुसलमान साहिवे निसाब है। यानी जिनकें पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या उसके बराबर रकम हो तो उसकी उसकी ढ़ाई प्रतिशत जकात निकालना फर्ज है।  इस वक्त साढ़ें वावन तोला चांदी का मूल्य लगभग 22 हजार है और अगर नही निकाली तो गुनाहगार होगा। उन्होनें मुस्लमानों से रमजान माह में अपील की है कि यतीमों गरीबों फकीरों की मदद करना चाहिए।  क्यों इस माह में एक नेकी के बदलें 70 नेकियों का सबाब मिलता है। आखीर में मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क में अमनों-अमान की दुआ मांगी। मुहम्मद फरियाद रजा, मुहम्मद सहादत हुसैन, शाहिद रज़ा, जाने आलाम अशरफी, कमरूल हसन, मुफ्ती नूर मो0 हसनी रकीब असंारी आदि लोग मौजूद रहें।

रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दिये जातें है- मुफ्ती साजिद हसनी पूरनपुर पीलीभीत- जामिया खदीजा लिलवनात में आल इण्डिया उलेमा मशाइख वोर्ड की ओर से एक प्रेस काॅन्फै्रन्स का आयोजन किया गया कुरान की तिलाबत के साथ शुभआरम्भ किया गया अध्यक्षता करतें हुए प्रेसवार्ता के दौरान मुस्लिम धर्म गुरू मुफ्ती साजिद हसनी ने कहाकि रमजान माह में जन्नत के दरवजे खोल दियें जातें है। इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने प्रेसवार्ता के दौरान रमजान शरीफ की फजीलत के वारेे में विस्तार से जानकारियां दी। उन्होनें कहा कि 1979 के बाद इस बार लगभग 16 घण्टें का 37 साल के बाद सबसें लम्बा रोजा मुस्लमानों को रखना पड़ेगा चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत महसूस होगी पर इसके बाद भी मजहब-ए-इस्लाम के माननें वालें इन चीजों से दूर रहकर भी अपनें रोजे पूरें करेगें उन्होने बताया कि यदि रोजदार पांचो वक्त की नमाजें फजर जोहर, असर, मगरिब, इशा और कुरान की तिलाबत करें और अपनें रोजे का पूरा दिन अल्लाह और उसकंे रसूल के जिक्र (याद) में गुजारेगें तो उन्हें भूख व प्यास का अहसास भी नहीं होगा। रमजान के महीनें में एक नेकी करनें के बदलें सत्तर नेकियों का सबाब मिलता है। उन्होने कहाकि रोजा रखना फर्ज है अगर कोई रोजा न रख सकें तो एक रोजे के बदलें लगातार 60 रोजे रखना होगे, यदि उस व्यक्ति मे 60 रोजे रखनें की ताकत नहीं तो वह 60 दिन गरीब फकीर को भर पेट दोनों समय खाना खिलायें। जो लोग जान-बूझकर रोजा नहीं रखतें है। तो वह लोग सख्त गुनहागार होगें और उनका मुस्लिम समाज से बायकाट किया जायें। यह विचार रखतें हुए मुफ्ती साजिद हसनी भावुक हो गयें, उन्होने बताया कि रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दियें जातें है और नर्ख (जहान्नम) के दरवाजें बन्द कर दियें जातें है और शैतानों की भी पूरें माह कैद कर दिया जाता है। आल इण्डिया बोर्ड के जिलाध्यक्ष मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने बताया कि कलमा, नमाज रोजा, हज, जकात पर मुस्लमानों को अमल करना चाहिए। रमजान माह में खुल्लम-खुल्ला खानें वालों को परहेज करना चाहिए। मुफ्ती साजिद हसनी ने बताया कि रोजे की हालत में इंजेक्शन लगवाना सुर्मा लगाना, सर में तेल डालनें से रोजा नहीं टूटता बल्की टयूथपेस्ट और मंजन के बारीक हिस्सें हलक से उतर गयें तो रोजा टूट जायें इसलिए यह चीजे रोजे की हालत में मना है। उन्होनें आला हजरत की तहरीरकर्दा किताब फताब-ए-रजवियां के हिवाले से बताया कि खैनी, तम्बाकू, गुल करने से भी रोजा टूट जाता है। उन्होेने बताया कि जो मुसलमान साहिवे निसाब है। यानी जिनकें पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या उसके बराबर रकम हो तो उसकी उसकी ढ़ाई प्रतिशत जकात निकालना फर्ज है। इस वक्त साढ़ें वावन तोला चांदी का मूल्य लगभग 22 हजार है और अगर नही निकाली तो गुनाहगार होगा। उन्होनें मुस्लमानों से रमजान माह में अपील की है क्योकि यतीमों गरीबों फकीरों की मदद करना चाहिए। क्यों इस माह में एक नेकी के बदलें 70 नेकियों का सबाब मिलता है। आखीर में मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क में अमनों-अमान की दुआ मांगी। मुहम्मद फरियाद रजा, मुहम्मद सहादत हुसैन, शाहिद रज़ा, जाने आलाम अशरफी, कमरूल हसन, मुफ्ती नूर मो0 हसनी रकीब असंारी आदि लोग मौजूद रहें।

रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दिये जातें है- मुफ्ती साजिद हसनी
पूरनपुर पीलीभीत- जामिया खदीजा लिलवनात में आल इण्डिया उलेमा मशाइख वोर्ड की ओर से एक प्रेस काॅन्फै्रन्स का आयोजन किया गया कुरान की तिलाबत के साथ शुभआरम्भ किया गया अध्यक्षता करतें हुए प्रेसवार्ता के दौरान मुस्लिम धर्म गुरू मुफ्ती साजिद हसनी ने कहाकि रमजान माह में जन्नत के दरवजे खोल दियें जातें है। इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने प्रेसवार्ता के दौरान रमजान शरीफ की फजीलत के वारेे में विस्तार से जानकारियां दी। उन्होनें कहा कि 1979 के बाद इस बार लगभग 16 घण्टें का 37 साल के बाद सबसें लम्बा रोजा मुस्लमानों को रखना पड़ेगा चिलचिलाती धूप व उमस भरी गर्मी में रोजादारों को प्यास की सिद्दत महसूस होगी पर इसके बाद भी मजहब-ए-इस्लाम के माननें वालें इन चीजों से दूर रहकर भी अपनें रोजे पूरें करेगें उन्होने बताया कि यदि रोजदार पांचो वक्त की नमाजें फजर जोहर, असर, मगरिब, इशा और कुरान की तिलाबत करें और अपनें रोजे का पूरा दिन अल्लाह और उसकंे रसूल के जिक्र (याद) में गुजारेगें तो उन्हें भूख व प्यास का अहसास भी नहीं होगा। रमजान के महीनें में एक नेकी करनें के बदलें सत्तर नेकियों का सबाब मिलता है। उन्होने कहाकि रोजा रखना फर्ज है अगर कोई रोजा न रख सकें तो एक रोजे के बदलें लगातार 60 रोजे रखना होगे, यदि उस व्यक्ति मे 60 रोजे रखनें की ताकत नहीं तो वह 60 दिन गरीब फकीर को भर पेट दोनों समय खाना खिलायें। जो लोग जान-बूझकर रोजा नहीं रखतें है। तो वह लोग सख्त गुनहागार होगें और उनका मुस्लिम समाज से बायकाट किया जायें। यह विचार रखतें हुए मुफ्ती साजिद हसनी भावुक हो गयें, उन्होने बताया कि रमजान में जन्नत के दरवाजें खोल दियें जातें है और नर्ख (जहान्नम) के दरवाजें बन्द कर दियें जातें है और शैतानों की भी पूरें माह कैद कर दिया जाता है।
आल इण्डिया बोर्ड के जिलाध्यक्ष मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने बताया कि कलमा, नमाज रोजा, हज, जकात पर मुस्लमानों को अमल करना चाहिए। रमजान माह में खुल्लम-खुल्ला खानें वालों को परहेज करना चाहिए।
मुफ्ती साजिद हसनी ने बताया कि रोजे की हालत में इंजेक्शन लगवाना सुर्मा लगाना, सर में तेल डालनें से रोजा नहीं टूटता बल्की टयूथपेस्ट और मंजन के बारीक हिस्सें हलक से उतर गयें तो रोजा टूट जायें इसलिए यह चीजे रोजे की हालत में मना है। उन्होनें आला हजरत की तहरीरकर्दा किताब फताब-ए-रजवियां के हिवाले से बताया कि खैनी, तम्बाकू, गुल करने से भी रोजा टूट जाता है। उन्होेने बताया कि जो मुसलमान साहिवे निसाब है। यानी जिनकें पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या उसके बराबर रकम हो तो उसकी उसकी ढ़ाई प्रतिशत जकात निकालना फर्ज है।  इस वक्त साढ़ें वावन तोला चांदी का मूल्य लगभग 22 हजार है और अगर नही निकाली तो गुनाहगार होगा। उन्होनें मुस्लमानों से रमजान माह में अपील की है क्योकि यतीमों गरीबों फकीरों की मदद करना चाहिए।  क्यों इस माह में एक नेकी के बदलें 70 नेकियों का सबाब मिलता है। आखीर में मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क में अमनों-अमान की दुआ मांगी। मुहम्मद फरियाद रजा, मुहम्मद सहादत हुसैन, शाहिद रज़ा, जाने आलाम अशरफी, कमरूल हसन, मुफ्ती नूर मो0 हसनी रकीब असंारी आदि लोग मौजूद रहें।

Friday, May 12, 2017

*🤶🏻#माँ_की_खिदमत_का_सिला_जरूर_पढ़ें * *हज़रत ओवैस करनी की ऐसी दास्तान जिसे पढ़ने के बाद आंसू को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा, मेरी आँखें तो अबभी नम हैं, #सुने* *हज़रत ओवैस करनी नबी ﷺ*की ज़ियारत नहीं कर सके लेकिन दिल में हसरत बहुत थी कि *नबी ﷺ* का दीदार कर लूं, मां थीं और उनकी खिदमत आपको *हुज़ूर ﷺ* के दीदार से रोके हुए थी, उधर *नबी ﷺ* यमन की तरफ़ रुख़ करके कहा करते थे कि मुझे यमन से अपने दोस्त की खुशबू आ रही है, एक सहाबी रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा य़ां *ﷺ* आप उनसे इतनी मुहब्बत करते हैं, और वो हें कि आपसे से मिलने भी नहीं आए? तो प्यारे *आका ﷺ* ने कहा कि उनकी बूढी और नाबीना माँ है, जिसकी ओवैस बहुत खिदमत करता है, और अपनी मां को वह अकेला छोड़ कर नहीं आ सकता। प्यारे आका *ﷺ* ने उमर और हज़रत अली रज़ियल्लाहू से मुखातिब होते हुए कहा कि तुम्हारे दौर मे एक शख्स यहां आएगा जिसका नाम होगा ओवैस बिन आमिर कद दर्मियानी होगा, रंग होगा काला, और जिस्म पर एक सफेद दाग होगा, जब वह आए तो तुम दोनों उससे मेरी उम्मत के लिए दुआ कराना क्योंकि ओवैस ने माँ की ऐसी खिदमत की है जब भी वो दुआ के लिए हाथ उठाता है, तो अल्लाह उसकी दुआ कभी रद्द नहीं करता। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु दस साल खलीफा रहे और हर साल हज करते हर साल हज़रत ओवैस करनी को तलाश करते, लेकिन उन्हें ओवैस करनी न मिलते। एक बार उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने सारे हाजियों को मैदान अराफात में इकठ्ठा कर लिया, और कहा कि सभी हाजी खड़े हो जाएं फिर कहा कि सब बैठ जाओ सिर्फ यमन वाले खड़े रहो, तो सभी बैठ गए और सिर्फ यमन वाले खड़े रहे। फिर कहा कि यमन वाले सारे बैठ जाओ सिर्फ कबीला मुराद खड़ा रहे, फिर कहा मुराद वाले सभी बैठ जाओ सिर्फ कर्न वाले खड़े हों, तो सिर्फ एक आदमी बचा हज़रत उमर अल्लाह रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि आप करनी हो तो उस शख्स ने कहा हाँ करनी हूँ, तो हज़रत उमर ने कहा कि ओवैस करनी को जानते हो? तो उस शख्स ने कहा कि हाँ जानता हूँ वह तो मेरे सगे भाई का बेटा है, आपने पूछा कि ओवैस है किधर? तो इस शख्स ने कहा कि वह अराफात गया है ऊंट चराने, आपने हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु को साथ लिया और अराफ़ात की ओर दौड़ लगाई जब वहां पहुंचे तो देखा कि ओवैस करनी पेड़ के नीचे नमाज़पढ़ रहे हैं, और ऊंट चारों ओर चर रहे हैं। आप दोनों बैठ गए और हज़रत ओवैस करनी की नमाज़ पूरी होने का इंतजार करने लगे, जब हज़रत ओवैस करनी ने सलाम फेरा तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने पूछा कौन हो भाई? तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा अल्लाह का बंदा, तो उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि सारे ही अल्लाह के बन्दे हैं लेकिन तुम्हारा नाम क्या है? तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा कि आप कौन हैं? हज़रत अली रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि ये अमीरुल मोमेनीन उमर बिन खत्ताब हैं और मैं अली बिन अबी तालिब हूं। हज़रत ओवैस का यह सुनना था कि थर थरा काँपने लगे और कहा कि जी मैं माफी चाहता हूँ मैंने अपको पहचाना नहीं था मै तो पहली बार हज पर आया हूँ, उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि आप ओवैस हो? तो उन्होंने कहा हाँ मै ही ओवैस हूँ। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि हाथ उठाइए और हमारे लिए दुआ फर्मा दें, वह रोने लगे और कहा कि मैं दुआ करूं? आप लोग सरदार और मै नौकर आपका और मै आप लोगों के लिए दुआ करूं ? तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि हाँ हमारे आका *ﷺ* का हुक्म था कि ओवैस जब भी आए तो दुआ करवाना। फिर हज़रत ओवैस करनी ने दोनों के लिए दुआ की। सरकार *ﷺ* ने कहा कि जब लोग जन्नत में जा रहे होंगे तो हज़रत ओवैस करनी भी चलेंगे उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा बाक़ियों को जाने दो और ओवैस को रोक लो, उस वक़्त हज़रत ओवैस करनी परेशान हो जाएंगे और कहेंगे कि एे अल्लाह! मुझे दरवाजे पर क्यों रोक लिया गया तो अल्लाह फरमायेगा कि पीछे देखो जब पीछे देखेंगे तो पीछे करोड़ों-अरबों की तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा! कि ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुशकिया है ''माँ" की खिदमत ''तू उंगली से इशारा कर जिधर तेरी उंगली फिरती जाएगी तेरे तुफ़ैल से इनको जन्नत में दाखिल करता जाऊंगा..! दोस्तों हमारे मेंहनत को जाया ना करें और एक दुसरे तक पोस्ट को Share करें 🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻Jamiakhadijalilbanat.blogspot.com

*🤶🏻#माँ_की_खिदमत_का_सिला_जरूर_पढ़ें *

*हज़रत ओवैस करनी की ऐसी दास्तान जिसे पढ़ने के बाद आंसू को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा, मेरी आँखें तो अबभी नम हैं, #सुने*

*हज़रत ओवैस करनी नबी ﷺ*की ज़ियारत नहीं कर सके लेकिन दिल में हसरत बहुत थी कि *नबी ﷺ* का दीदार कर लूं, मां थीं और उनकी खिदमत आपको *हुज़ूर ﷺ* के दीदार से रोके हुए थी, उधर *नबी ﷺ* यमन की तरफ़ रुख़ करके कहा करते थे कि मुझे यमन से अपने दोस्त की खुशबू आ रही है, एक सहाबी रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा य़ां *ﷺ* आप उनसे इतनी मुहब्बत करते हैं, और वो हें कि आपसे से मिलने भी नहीं आए? तो प्यारे *आका ﷺ* ने कहा कि उनकी बूढी और नाबीना माँ है, जिसकी ओवैस बहुत खिदमत करता है, और अपनी मां को वह अकेला छोड़ कर नहीं आ सकता। प्यारे आका *ﷺ* ने उमर और हज़रत अली रज़ियल्लाहू से मुखातिब होते हुए कहा कि तुम्हारे दौर मे एक शख्स यहां आएगा जिसका नाम होगा ओवैस बिन आमिर कद दर्मियानी होगा, रंग होगा काला, और जिस्म पर एक सफेद दाग होगा, जब वह आए तो तुम दोनों उससे मेरी उम्मत के लिए दुआ कराना क्योंकि ओवैस ने माँ की ऐसी खिदमत की है जब भी वो दुआ के लिए हाथ उठाता है, तो अल्लाह उसकी दुआ कभी रद्द नहीं करता। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु दस साल खलीफा रहे और हर साल हज करते हर साल हज़रत ओवैस करनी को तलाश करते, लेकिन उन्हें ओवैस करनी न मिलते। एक बार उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने सारे हाजियों को मैदान अराफात में इकठ्ठा कर लिया, और कहा कि सभी हाजी खड़े हो जाएं फिर कहा कि सब बैठ जाओ सिर्फ यमन वाले खड़े रहो, तो सभी बैठ गए और सिर्फ  यमन वाले खड़े रहे। फिर कहा कि यमन वाले सारे बैठ जाओ सिर्फ कबीला मुराद खड़ा रहे, फिर कहा मुराद  वाले सभी बैठ जाओ सिर्फ कर्न वाले खड़े हों, तो सिर्फ एक आदमी बचा हज़रत उमर अल्लाह रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि आप करनी हो तो उस शख्स  ने कहा हाँ करनी हूँ, तो हज़रत उमर ने कहा कि ओवैस करनी को जानते हो? तो उस शख्स ने कहा कि हाँ जानता हूँ वह तो मेरे सगे भाई का बेटा है, आपने पूछा कि ओवैस है किधर? तो इस शख्स ने कहा कि वह अराफात गया है ऊंट चराने, आपने हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु को साथ लिया और अराफ़ात की ओर दौड़ लगाई जब वहां पहुंचे तो देखा कि ओवैस करनी पेड़ के नीचे नमाज़पढ़ रहे हैं, और ऊंट चारों ओर चर रहे हैं।

आप दोनों बैठ गए और हज़रत ओवैस करनी की नमाज़ पूरी होने का इंतजार करने लगे, जब हज़रत ओवैस करनी ने सलाम फेरा तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने पूछा कौन हो भाई? तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा अल्लाह का बंदा, तो उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि सारे ही अल्लाह के बन्दे हैं लेकिन तुम्हारा नाम क्या है? तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा कि आप कौन हैं? हज़रत अली रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि ये अमीरुल मोमेनीन उमर बिन खत्ताब हैं और मैं अली बिन अबी तालिब हूं।

हज़रत ओवैस का यह सुनना था कि थर थरा काँपने लगे और कहा कि जी मैं माफी चाहता हूँ मैंने अपको पहचाना नहीं था मै तो पहली बार हज पर आया हूँ, उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि आप ओवैस हो? तो उन्होंने कहा हाँ मै ही ओवैस हूँ। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि हाथ उठाइए और हमारे लिए दुआ फर्मा दें, वह रोने लगे और कहा कि मैं दुआ करूं? आप लोग सरदार और मै नौकर आपका और मै आप लोगों के लिए दुआ करूं ? तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि हाँ हमारे आका *ﷺ* का हुक्म था कि ओवैस जब भी आए तो दुआ करवाना। फिर हज़रत ओवैस करनी ने दोनों के लिए दुआ की। सरकार *ﷺ* ने कहा कि जब लोग जन्नत में जा रहे होंगे तो हज़रत ओवैस करनी भी चलेंगे उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा बाक़ियों को जाने दो और ओवैस को रोक लो, उस वक़्त हज़रत ओवैस करनी परेशान हो जाएंगे और कहेंगे कि एे अल्लाह! मुझे दरवाजे पर क्यों रोक लिया गया तो अल्लाह फरमायेगा कि पीछे देखो जब पीछे देखेंगे तो पीछे करोड़ों-अरबों की तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा! कि ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुशकिया है ''माँ" की खिदमत ''तू उंगली से इशारा कर जिधर तेरी उंगली फिरती जाएगी तेरे तुफ़ैल से इनको जन्नत में दाखिल करता जाऊंगा..! दोस्तों हमारे मेंहनत को जाया ना करें और एक दुसरे तक पोस्ट को Share करें
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*हज़रत ओवैस करनी की ऐसी दास्तान जिसे पढ़ने के बाद आंसू को रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा, मेरी आँखें तो अबभी नम हैं, #सुने*

*हज़रत ओवैस करनी नबी ﷺ*की ज़ियारत नहीं कर सके लेकिन दिल में हसरत बहुत थी कि *नबी ﷺ* का दीदार कर लूं, मां थीं और उनकी खिदमत आपको *हुज़ूर ﷺ* के दीदार से रोके हुए थी, उधर *नबी ﷺ* यमन की तरफ़ रुख़ करके कहा करते थे कि मुझे यमन से अपने दोस्त की खुशबू आ रही है, एक सहाबी रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा य़ां *ﷺ* आप उनसे इतनी मुहब्बत करते हैं, और वो हें कि आपसे से मिलने भी नहीं आए? तो प्यारे *आका ﷺ* ने कहा कि उनकी बूढी और नाबीना माँ है, जिसकी ओवैस बहुत खिदमत करता है, और अपनी मां को वह अकेला छोड़ कर नहीं आ सकता। प्यारे आका *ﷺ* ने उमर और हज़रत अली रज़ियल्लाहू से मुखातिब होते हुए कहा कि तुम्हारे दौर मे एक शख्स यहां आएगा जिसका नाम होगा ओवैस बिन आमिर कद दर्मियानी होगा, रंग होगा काला, और जिस्म पर एक सफेद दाग होगा, जब वह आए तो तुम दोनों उससे मेरी उम्मत के लिए दुआ कराना क्योंकि ओवैस ने माँ की ऐसी खिदमत की है जब भी वो दुआ के लिए हाथ उठाता है, तो अल्लाह उसकी दुआ कभी रद्द नहीं करता। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु दस साल खलीफा रहे और हर साल हज करते हर साल हज़रत ओवैस करनी को तलाश करते, लेकिन उन्हें ओवैस करनी न मिलते। एक बार उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने सारे हाजियों को मैदान अराफात में इकठ्ठा कर लिया, और कहा कि सभी हाजी खड़े हो जाएं फिर कहा कि सब बैठ जाओ सिर्फ यमन वाले खड़े रहो, तो सभी बैठ गए और सिर्फ  यमन वाले खड़े रहे। फिर कहा कि यमन वाले सारे बैठ जाओ सिर्फ कबीला मुराद खड़ा रहे, फिर कहा मुराद  वाले सभी बैठ जाओ सिर्फ कर्न वाले खड़े हों, तो सिर्फ एक आदमी बचा हज़रत उमर अल्लाह रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि आप करनी हो तो उस शख्स  ने कहा हाँ करनी हूँ, तो हज़रत उमर ने कहा कि ओवैस करनी को जानते हो? तो उस शख्स ने कहा कि हाँ जानता हूँ वह तो मेरे सगे भाई का बेटा है, आपने पूछा कि ओवैस है किधर? तो इस शख्स ने कहा कि वह अराफात गया है ऊंट चराने, आपने हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु को साथ लिया और अराफ़ात की ओर दौड़ लगाई जब वहां पहुंचे तो देखा कि ओवैस करनी पेड़ के नीचे नमाज़पढ़ रहे हैं, और ऊंट चारों ओर चर रहे हैं।

आप दोनों बैठ गए और हज़रत ओवैस करनी की नमाज़ पूरी होने का इंतजार करने लगे, जब हज़रत ओवैस करनी ने सलाम फेरा तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने पूछा कौन हो भाई? तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा अल्लाह का बंदा, तो उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि सारे ही अल्लाह के बन्दे हैं लेकिन तुम्हारा नाम क्या है? तो हज़रत ओवैस करनी ने कहा कि आप कौन हैं? हज़रत अली रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि ये अमीरुल मोमेनीन उमर बिन खत्ताब हैं और मैं अली बिन अबी तालिब हूं।

हज़रत ओवैस का यह सुनना था कि थर थरा काँपने लगे और कहा कि जी मैं माफी चाहता हूँ मैंने अपको पहचाना नहीं था मै तो पहली बार हज पर आया हूँ, उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि आप ओवैस हो? तो उन्होंने कहा हाँ मै ही ओवैस हूँ। उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि हाथ उठाइए और हमारे लिए दुआ फर्मा दें, वह रोने लगे और कहा कि मैं दुआ करूं? आप लोग सरदार और मै नौकर आपका और मै आप लोगों के लिए दुआ करूं ? तो हज़रत उमर रज़िअल्लाह तआला अन्हु ने कहा कि हाँ हमारे आका *ﷺ* का हुक्म था कि ओवैस जब भी आए तो दुआ करवाना। फिर हज़रत ओवैस करनी ने दोनों के लिए दुआ की। सरकार *ﷺ* ने कहा कि जब लोग जन्नत में जा रहे होंगे तो हज़रत ओवैस करनी भी चलेंगे उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा बाक़ियों को जाने दो और ओवैस को रोक लो, उस वक़्त हज़रत ओवैस करनी परेशान हो जाएंगे और कहेंगे कि एे अल्लाह! मुझे दरवाजे पर क्यों रोक लिया गया तो अल्लाह फरमायेगा कि पीछे देखो जब पीछे देखेंगे तो पीछे करोड़ों-अरबों की तादाद में जहन्नमी खड़े होंगे तो उस वक्त अल्लाह फर्मायेगा! कि ओवैस तेरी एक नेकी ने मुझे बहुत खुशकिया है ''माँ" की खिदमत ''तू उंगली से इशारा कर जिधर तेरी उंगली फिरती जाएगी तेरे तुफ़ैल से इनको जन्नत में दाखिल करता जाऊंगा..! दोस्तों हमारे मेंहनत को जाया ना करें और एक दुसरे तक पोस्ट को Share करें
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Thursday, May 11, 2017

शबे बरात अजमतो फजीलत की रात मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी ....आल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड के बैनर तले जामिया खदीजा लिलबनात में एक रोजा जश्ने अजमते शबे बरात का आयोजन किया गया कुरान की तिलावत के साथ गुल जहां नूरी शुभारम्भ किया अध्यक्षता करते हुए मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी ने अपनी तकरीर में कहा कि शाबान इस्लामी साल का आठवां महीना है हज़रत अबु हुरैरा रदी अल्लाहुता'ला अन्हु से मरवी है कि हुज़ुर (सल्ललल्लाहु अलयहि वस्सल्लम) ने फ़रमाया "शाबान मेरा महीना है रजब अल्लाह ता'ला का महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है " शाबान गुनाहों को दूर करने वाला है और रमज़ान बीलकुल पाक करने वाला है शाबान दो मुबारक महीनो (रजब- रमज़ान) के दरमीयान है इस महीने में बंदे के आमाल रब्बुल आलमीन के हुज़ुर पेश कीये जाते है इस महीने में खुदा ता'ला की तरफ़ से बंदो पर बडी बरकतें नाज़ील होती है , नेअमतें अत्ता की जाती है नेकीयों के दरवाज़े खोल दीये जाते है, खता एं माफ़ की जाती है और गुनाहों का कफ़फारा होता है इस माह में जब 15 वी रात (शबे बरात) आए तो रात में इबादत करो और दीन को रोज़ा रखो इस रात में कीस्मत लीखी जाती है कीरामन कातेबीन का पुराना दफ़तर बंध होता है और नया दफ़तर खुलता है , कीसीको इसमे सआदत नसीब होती है और कीसी को शकावत, सालभर में जो आपकी कीसमत में होने वाला है वो तहेरीर कीया जाता है.* *14 वी के दीन* *असर मगरीब के बीच में गुसल करे 15 वी शाबान की इबादत की नीय्यत से तो पानी के हर कतरे के बदले 700 रका'त नफ़ील नमाज़ का सवाब मीलेगा* *सुरज डूबने से पहेले 40 बार "ला हवला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाहील अलीय्यील अज़ीम "पड़े , तो खुदा ता'ला उसके 40 साल के गुनाह माफ़ कर देगा और 4 हुरें उसको जन्नत मे मीलेगी* आलिमा हसीना खातून ने कहा कि 15 वी रात शबे बरात* *इस मुबारक रात में गुस्ल करके दो रका'त तहीयतुल वुज़ु पड़े सुरमा लगाए (दांइ आंख में तीन सलाइ और बांइ आंख मे दो सलाइ) , मीस्वाक करे खुश्बु लगाए कब्रस्तान जाए हलवा बनाए और फ़ातेहा दे, बीमार की अयादत करे नफ़ील नमाज़े पड़े दुरुदो सलाम पड़े सुरह यासीन शरीफ़ की तीलावत करे और अपने मर्हुमों की मगफ़ीरत की दुआ ए करे क्युंकि हदीष शरीफ़ मे आया है कि शबे बरात की रात को मर्हुमो की रुहें अपने घरों के दरवाज़े पर जाकर पुकारती है अय घर वाले रहम करो आज की रात हमारे लीये कुछ सदक़ा करो क्युंकि हम लोग इसाले सवाब चाहते है , अगर तुमने उनके नाम कुछ इसाले सवाब कर दीया तो वो खुश होकर दुआ ए देकर जाती है और जब कुछ नहीं पाती तो ना उम्मीद हो कर वापीस जाती है* आलिमा रिफअत जुलैखा घोसी मऊ ने कहा कि *गौषे समदानी शैख अब्दुल क़ादीर जीलानी (रदी अल्लाहु ता'ला अन्हु) फ़रमाते है हदीषे पाक मे आया है कि हुज़ुर (सल्ललल्लाहु ता'ला अलयहि वस्सल्लम) ने इर्शाद फ़रमाया कि शाबान की 15 वी शब जीब्रीले अमीन मेरे पास आए तो मैंने शबे बरात के बारे में दरयाफ़्त फ़रमाया तो जीब्रीले अमीन ने अर्ज़ कीया की ये वो रात है जीसमें अल्लाह ता'ला तीन सो रहेमत के दरवाज़े खोल देता है और हर उस शाख्स को बख्श देता है ,मगर जो मुशरीक हो , जादुगर हो , शराबी हो और सुदखौर जब तक तौबा ना करले नहीं बख्शता* आखिर में मुल्क में अमन व अमान के लिए जामिया खदीजा लिलवनात में मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी ने दुआ मांगी सबा बी सादिया बी रिफा बी शिफा बी निशा बी फातिमा बी आदि मौजूद थे

शबे बरात अजमतो फजीलत की रात मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी ....आल इंडिया उलेमा मशाइख बोर्ड के बैनर तले
जामिया खदीजा लिलबनात में एक रोजा जश्ने अजमते शबे बरात का आयोजन किया गया कुरान की तिलावत के साथ गुल जहां नूरी शुभारम्भ किया  अध्यक्षता करते हुए मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी ने अपनी तकरीर में कहा कि
शाबान इस्लामी साल का आठवां महीना है हज़रत अबु हुरैरा रदी अल्लाहुता'ला अन्हु से मरवी है कि हुज़ुर (सल्ललल्लाहु अलयहि वस्सल्लम) ने फ़रमाया "शाबान मेरा महीना है रजब अल्लाह ता'ला का महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है " शाबान गुनाहों को दूर करने वाला है और रमज़ान बीलकुल पाक करने वाला है शाबान दो मुबारक महीनो (रजब- रमज़ान) के दरमीयान है इस महीने में बंदे के आमाल रब्बुल आलमीन के हुज़ुर पेश कीये जाते है इस महीने में खुदा ता'ला की तरफ़ से बंदो पर बडी बरकतें नाज़ील होती है , नेअमतें अत्ता  की जाती है नेकीयों के दरवाज़े खोल दीये जाते है, खता एं माफ़ की जाती है और गुनाहों का कफ़फारा होता है
इस माह में जब 15 वी रात (शबे बरात) आए तो रात में इबादत करो और दीन को रोज़ा रखो इस रात में कीस्मत लीखी जाती है कीरामन कातेबीन का पुराना दफ़तर बंध होता है और नया दफ़तर खुलता है , कीसीको इसमे सआदत नसीब होती है और कीसी को शकावत, सालभर में जो आपकी कीसमत में होने वाला है वो तहेरीर कीया जाता है.*

*14 वी के दीन*
     *असर मगरीब के बीच में गुसल करे 15 वी शाबान की इबादत की नीय्यत से तो पानी के हर कतरे के बदले 700 रका'त नफ़ील नमाज़ का सवाब मीलेगा*
         *सुरज डूबने से पहेले 40 बार "ला हवला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाहील अलीय्यील अज़ीम "पड़े , तो खुदा ता'ला उसके 40 साल के गुनाह माफ़ कर देगा और 4 हुरें उसको जन्नत मे मीलेगी*
आलिमा हसीना खातून
ने कहा कि 15 वी रात शबे बरात*
*इस मुबारक रात में गुस्ल करके दो रका'त तहीयतुल वुज़ु पड़े सुरमा लगाए (दांइ आंख में तीन सलाइ और बांइ आंख मे दो सलाइ) , मीस्वाक करे खुश्बु लगाए कब्रस्तान जाए हलवा बनाए और फ़ातेहा दे, बीमार की अयादत करे नफ़ील नमाज़े पड़े दुरुदो सलाम पड़े सुरह यासीन शरीफ़ की तीलावत करे और अपने मर्हुमों की मगफ़ीरत की दुआ ए करे क्युंकि हदीष शरीफ़ मे आया है कि शबे बरात की रात को मर्हुमो की रुहें अपने घरों के दरवाज़े पर जाकर पुकारती है अय घर वाले रहम करो आज की रात हमारे लीये कुछ सदक़ा करो क्युंकि हम लोग इसाले सवाब चाहते है , अगर तुमने उनके नाम कुछ इसाले सवाब कर दीया तो वो खुश होकर दुआ ए देकर जाती है और जब कुछ नहीं पाती तो ना उम्मीद हो कर वापीस जाती है*
आलिमा रिफअत जुलैखा घोसी मऊ ने कहा कि
*गौषे समदानी शैख अब्दुल क़ादीर जीलानी (रदी अल्लाहु ता'ला अन्हु) फ़रमाते है हदीषे पाक मे आया है कि हुज़ुर (सल्ललल्लाहु ता'ला  अलयहि वस्सल्लम) ने इर्शाद फ़रमाया कि शाबान की 15 वी शब जीब्रीले अमीन मेरे पास आए तो मैंने शबे बरात के बारे में दरयाफ़्त फ़रमाया तो  जीब्रीले अमीन ने अर्ज़ कीया की ये वो रात है जीसमें अल्लाह ता'ला तीन सो रहेमत के दरवाज़े खोल देता है और हर उस शाख्स को बख्श देता है ,मगर जो मुशरीक हो , जादुगर हो , शराबी हो और सुदखौर जब तक तौबा ना करले नहीं बख्शता*
आखिर में मुल्क में अमन व अमान के लिए जामिया खदीजा लिलवनात में मुफ्तिया रेशमा खानम अमज़दी ने दुआ मांगी
सबा बी सादिया बी रिफा बी शिफा बी निशा बी फातिमा बी आदि मौजूद थे